MUMBAI. हिन्दी सिनेमा के वर्तमान के सबसे बड़े स्टार कार्तिक आर्यन का आज 22 नवंबर को जन्मदिन है। उनके दिल में मध्यप्रदेश और खासतौर से ग्वालियर व जबलपुर धड़कता है। कार्तिक के माता-पिता डा.माला व डा.मुनीश तिवारी ने लंबे समय तक ग्वालियर में रह कर नर्सिंग होम का संचालन किया है। कार्तिक का ननिहाल जबलपुर का है। यहां उसके नाना डा.केपी चंसौरिया नब्बे के दशक में जबलपुर मेडकिल कॉलेज के डीन रह चुके हैं। डा.चंसौरिया मध्यप्रदेश के पहले एनेस्थीसिया विशेषज्ञ के रूप में विख्यात रहे हैं। कार्तिक आर्यन ने बचपन के कुछ साल अपनी ननिहाल जबलपुर में बिताए हैं, इसलिए उनका अपनी नानी कांता चंसौरिया से विशेष लगाव है। कार्तिक आर्यन को बचपन में प्यार से ‘कोकी’ नाम से पुकारा जाता था। उनकी नानी आज भी इसी नाम से उनको पुकारती हैं।
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पेरेंट्स चाहते थे कि कार्तिक इंजीनियर बनें
कार्तिक आर्यन का कोई फिल्मी पृष्ठभूमि नहीं रही। दरअसल वे कार्तिक तिवारी के रूप में मुंबई में डीवॉय पाटिल कॉलेज में बॉयो टेक्नालॉजी की पढ़ाई करने गए थे। वहां उन्हें फैशन, मॉडलिंग व फिल्मी दुनिया ने आकर्षित किया। परिवार को जानकारी दिए बिना उन्होंने कुछ मॉडलिंग के प्रस्तावों में काम किया। एक दिन ‘प्यार का पंचनामा’ फिल्म के निर्देशक लव रंजन की निगाह उनपर पड़ी और उन्होंने अपनी फिल्म में तीन हीरो में से एक हीरो के रूप में उनका चयन कर लिया। जब इस बात की जानकारी कार्तिक आर्यन ने अपने माता-पिता को दी, तब परिवार में एक तूफान सा आ गया। पूरा परिवार सोच में पड़ गया कि लड़के ने कौन सी लाइन पकड़ ली। परिवार वालों की दृष्टि में फिल्म इंडस्ट्री की छवि खराब थी। कार्तिक के भविष्य को ले कर वे आशंकित थे।
अजय देवगन ने कार्तिक के परिवार को समझाया था
‘प्यार का पंचनामा’ को अजय देवगन प्रोड्यूस कर रहे थे। प्रोड्यूसर के रूप में अजय देवगन के सेक्रेटरी कुमार मुंगत पाठक का नाम जा रहा था। कुमार मंगत पाठक ने कार्तिक के परिवार के सदस्यों के साथ अजय देवगन के साथ एक मीटिंग रखी। अजय देवगन ने कार्तिक के परिवार को समझाया कि दुनिया में अच्छे व बुरे दोनों तरह के लोग रहते हैं, ऐसा ही फिल्म इंडस्ट्री में भी है। मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में बुराईयां ही नहीं भरी। कार्तिक में हम लोगों को कुछ अलग दिख रहा है इसलिए मौका दे रहे हैं। अजय देवगन से बातचीत और सलाह के बाद परिवार ने कार्तिक को ‘प्यार का पंचनामा’ में काम करने की इजाजत दे दी।
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कार्तिक तिवारी से नाम बदलकर रखा कार्तिक आर्यन
‘प्यार का पंचनामा’ बाक्स ऑफिस पर हिट हो गई और कार्तिक तिवारी की चर्चा मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में होने लगी। इसके बाद आकाशवाणी और कांची में वे हीरो बने। सुभाष घई ने कांची फिल्म में उन्हें कार्तिक तिवारी से कार्तिक आर्यन बना कर नया नाम दिया। हो सकता है यह ज्योतिष या अंधविश्वास का फेर रहा हो जैसे ही वे कार्तिक तिवारी से कार्तिक आर्यन बने उनका सितारा चमक गया। कार्तिक आर्यन की फिल्में ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ और ‘लुकाछिपी’ की सफलता से वे ऐसे आगे बढ़े की आगे ही बढ़ते चले गए। उन्होंने तनुजा चंद्रा की ‘सिलवट’ में एक मुस्लिम युवा की भूमिका की छोटी सी भूमिका भी निभाई। ‘भूल भुलैया’ कार्तिक आर्यन की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म साबित हुई और आज वे हिन्दी सिनेमा के सबसे लोकप्रिय हीरो बन गए।
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कार्तिक के ननिहाल में जबलपुर में
कार्तिक आर्यन अन्य फिल्म स्टार की तरह रिजर्व नेचर के नहीं हैं। लोगों से मिलने जुलने में उन्हें कोई संकोच नहीं है। अपने चाहने वालों के साथ वे तस्वीर खिंचवाते हैं, ऑटोग्राफ देते हैं। इस साल अक्टूबर की शुरूआत में अपने मौसेरे भाई की रिंग सेरेमनी में कार्तिक आर्यन जबलपुर पहुंचे। यहां उन्होंने अपने चाहने वालों खासतौर से युवाओं से प्यार व आत्मीयता से मिले। जबलपुर के केंट इलाके में इंडियन काफी हाउस में चुपचाप पहुंच कर डोसा खाया और काफी की चुस्कियां लीं। जब लोगों की अचानक उनपर निगाह पड़ी तो वे अचकचाए नहीं बल्कि सभी मिलने वालों के साथ सेल्फी लेने में उनकी मदद की। काफी हाउस प्रबंधन ने उनको प्रस्ताव दिया कि वे उनके लिए अलग से बैठने का इंतजाम कर देते हैं, तो उन्होंने विनम्रता से उनके प्रस्ताव को नकारते हुए हॉल में बैठे रहने की इच्छा व्यक्त की। कार्तिक सिविल लाइंस स्थित अपनी नानी के घर में पहुंच कर बचपन की स्मृति को ताजा किया। जबलपुर यात्रा के दौरान कार्तिक आर्यन अत्यंत सहज रहे। स्वयं अपने सोशल मीडिया अकाउंट को हेंडल करते हुए तस्वीरें शेयर करते रहे। संभवत: उनकी विनम्रता व सहजता ही उनके शिखर पर पहुंचने का सबसे बड़ा कारण है।
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